भारत के राष्ट्रगान से संस्कृतिक सन्ध्या की शुरुआत
*विदेशी मेहमान, प्रदेश के राज्यपाल, सीएम, सीएस, डीजीपी, पंकज पांडेय, मण्डलायुक्त, आईजी, जिलाधिकारी,पीएसए अजय कुमार सूद व एस एस पी, पंकज भट्ट रहे उपस्थित।
- ओम जय जगदीश हरे आरती से सांस्कृतिक संध्या का समापन*
लगभग संस्कृति विभाग के 200 कलाकारों ने दी प्रस्तुति
गंगोत्री, हरिद्वार की शिव मूर्ति व राज्य के विभिन्न नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण चित्रों को स्टेज के पीछे लगी स्क्रीन में दिखाया गया।
शिव की जटा, सर में माला, चन्द्रमा,गले मे सांप व अन्य चीजों का वर्णन।
नंदा राजजात की प्रस्तुति – 12 वर्ष बाद यात्रा का आयोजन होता है।
बेडु पाको बारामासा
भारत की विविधता में एकता की थीम को सांस्कृतिक संध्या के नृत्य से प्रदर्शित किया।
उत्तराखंड राज्य भौगोलिक सुंदरता के साथ विविध सांस्कृतिक विविधताएँ भी समेटे हुआ है। यहां के स्थानीय लोगों ने अपनी लोक संस्कृति को इतनी शालीनता से सहेजा है कि इस पहाड़ी प्रदेश की नैसर्गिक खूबसूरती के अलावा आगन्तुक को यहां का साधारण जीवन रोचकता दिखने लगते हैं। यहां के लोकगीत, लोक गायन शैली, चित्र अथवा शिल्प और लोकनृत्य इतना समृद्ध और विस्तृत है कि इसके बारे में जितना शोध किया जाए कम है।
लोकसंस्कृति ही किसी प्रदेश की मूल अवधारणाओं को दर्शाता है। यही उस समाज के आँखें और कान दोनों होते हैं। और उसी लोकसंस्कृति के प्रमुख आधार हैं लोकगायन और लोकनृत्य।
थड़िया नृत्य ,सरौं- नृत्य,चौंफला नृत्य,मंडाण नृत्य,हारूल नृत्य,झुमैलो नृत्य,चाँचरी नृत्य,झोड़ा नृत्य,छोलिया नृत्य,भैला,
नैसर्गिक वातावरण में ली योग की अनुभूति
विश्व के हर कोने से गूँजने वाले योगा का लिया पहाड़ में आनंद
कहा आज योग बन गया है जीवन का आधार
ताज रिसोर्ट के खुले आसमान की शांत वादियों में विदेशी मेहमानों ने योगाभ्यास से दिन की शुरुआत की। पहाड़ की स्वच्छ हवा ने विदेशियों को अपनी आबोहवा से अभिभूत कर निरोगी काया से परिचय कराया, साथ ही आनंद की अनुभूति भी ली।आयुर्वेदिक सम्बन्धित जानकारी व परामर्श हेतु आयुष द्वारा 02 स्टॉल लगाए गए है। आयुष विभाग के स्टॉल्स में विशेषज्ञों के द्वारा नाड़ी परीक्षण मर्म चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। स्टाल में कई प्रतिभागियों द्वारा स्वयं का नाड़ी परीक्षण कराया गया तथा मर्म चिकित्सा का लाभ लिया गया।