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चैत्र मास की दूसरी नवरात्री माँ ब्रह्मचारिणी की होंगी पूजा मंदिरो मे श्रद्धांलुओं की भीड़,

चैत्र मास की नवरात्रि के साथ ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी हो गई है वैसे तो नवरात्री वर्ष में चार बार आती है, लेकिन चैत्र और आश्विन की नवरात्रियों का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि से ही विक्रम संवत की शुरुआत होती है। इन दिनों प्रकृति से एक विशेष तरह की आध्यात्मिक शक्ति का आभास होता है तथा आस्था और नई ऊर्जा का संचार होता है। इस शक्ति को ग्रहण करने के लिए इन दिनों में नौ देवियो की पूजा का विधान है। इसमें मां की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली से है,इस दिन से कई लोग नौ दिनों या दो दिन का उपवास रखते हैं,वही नवरात्रि का उत्साह आज मंदिरो मे देखने को मिल रहा है, महिला, पुरुष, बच्चे बूढ़े सभी को माता के चरणों मे सर नवाते देखा जा रहा है,जहाँ लोग सुख शांति उन्नति की कामनाओं से साथ मंदिरो मे सुबह से ही पूजा के लिए आना शुरू हो गए, साथ ही नवदुर्गो के श्रृंगार के लिए बाजार भी सजे हुए है जहा लोग अपनी आराध्य देवी के लिए चुनरी आदि सामानो की ख़रीदारी भी कर रहे है!

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