देहरादून। उत्तराखंड के निकाय चुनाव में इस बार नगर पंचायतों में ओबीसी का आरक्षण अध्यक्ष पद पर सबसे अधिक होगा। ओबीसी आरक्षण के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर सर्वाधिक 38.97 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है। वहीं, नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद पर 28.10 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है।
2018 के चुनाव में सभी नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। लेकिन इस बार यह आरक्षण बढ़ने वाला है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने इसके लिए सभी निकायों में ओबीसी सर्वेक्षण कराया। नगर पालिकाओं में कुल 41 सीटें हैं, जिनकी आबादी 10 लाख 69 हजार 551 है। इनमें जनरल आबादी 6 लाख दो हजार 361 (56.32 प्रतिशत), अनुसूचित जाति की आबादी एक लाख 47 हजार 164 (13.76 प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति की आबादी 19 हजार 503 (1.82 प्रतिशत) और ओबीसी की आबादी तीन लाख 523 (28.10 प्रतिशत) है।
इस हिसाब से 41 में से जनरल के लिए 22, एससी के लिए छह, एसटी के लिए एक और ओबीसी के लिए 12 सीटें आरक्षित करने की सिफारिश की गई है। 45 नगर पंचायतों में ओबीसी सर्वे हुआ है, जिसमें कुल तीन लाख 91 हजार 146 आबादी मानी गई है। इसमें जनरल की आबादी एक लाख 79 हजार 985 (46.01 प्रतिशत), अनुसूचित जाति की आबादी 55 हजार 498 (14.19 प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति की आबादी तीन हजार 246 (0.83 प्रतिशत) और ओबीसी की आबादी एक लाख 52 हजार 417 (38.97 प्रतिशत) है। इस हिसाब से नगर पंचायतों में चेयरमैन पद पर जनरल की 23, एससी की छह, ओबीसी की 16 सीट आरक्षित करने की सिफारिश की गई है।
नौ नगर निगमों में पार्षद के 460 पद हैं। आबादी के हिसाब से इनमें जनरल की 317, एससी की 60, एसटी की एक और ओबीसी की 82 सीटें आरक्षित रखने की सिफारिश की गई है। ओबीसी को सबसे ज्यादा काशीपुर नगर निगम में 38.62 प्रतिशत आरक्षण, रुड़की में 36.20 प्रतिशत, हरिद्वार में 20.90 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
वहीं, श्रीनगर नगर निगम में ओबीसी की हिस्सेदारी महज 5.51 प्रतिशत के हिसाब से सबसे कम होगी। नगर पालिकाओं में सभासद के 471 में से एससी को 67, एसटी को आठ, जनरल को 294 और ओबीसी को 102 पद देने की सिफारिश की गई है। नगर पंचायतों में सभासदों के लिए 302 में से एससी को 42, एसटी को दो, जनरल को 204 और ओबीसी को 54 पद देने की सिफारिश की गई है।