- पहली कक्षा में प्रवेश की आयु अब पांच वर्ष करने की तैयारी
- शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री धामी ने दी मंजूरी
देहरादून : प्रदेश में पहली कक्षा में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा पांच वर्ष करने की तैयारी है। अभी तक पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र सीमा छह वर्ष है। शिक्षा विभाग के आयु में छूट देने संबंधी प्रस्ताव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरी झंडी दे दी है। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से मुख्यमंत्री कार्यालय से यह फाइल शासन के माध्यम से निर्वाचन विभाग को भेजी गई है। उम्मीद है एक सप्ताह के भीतर मंजूरी मिल जाएगी। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने इसकी पुष्टि की है। यह व्यवस्था एक वर्ष के लिए है। इस नई व्यवस्था के लागू होने से नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षा को कम आयु में पास कर चुके छात्रों को पहली कक्षा में प्रवेश मिल सकेगा।
14 अगस्त 2023 को राज्य सरकार ने केंद्र के मानक के अनुसार कक्षावार आयु सीमा तय कर दी थी। इसके अनुसार पहली
कक्षा में प्रवेश तभी मिलेगा, जब एक अप्रैल को छात्र-छात्रा की आयु छह साल हो चुकी हो। इस नियम से बड़ी संख्या में छात्रों के प्रवेश पर संकट आ गया है। इस वजह से कुछ समय पहले विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने आयु सीमा में छूट देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था।
15 मार्च को विद्यालयी शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत होने वाले प्रवेश के लिए विज्ञप्ति जारी की। जिसमें प्री-नर्सरी कक्षा में प्रवेश के लिए 31
मार्च 2024 को तीन वर्ष पूर्ण और कक्षा एक में प्रवेश के लिए 31 मार्च 2024 को छह वर्ष पूर्ण होनी चाहिए।
एक अप्रैल से शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत निजी संस्थान में 25 प्रतिशत सीट पर आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के छात्र, अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी आदि को प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन प्रारंभ हो गए हैं। जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि 20 अप्रैल है। निजी विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा तक आरटीई के तहत दाखिले वाले छात्रों को निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आरके उनियाल ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से स्वीकृति मिल गई है। अब प्रस्ताव निर्वाचन विभाग को भेजा गया है। कहा कि जिन छात्रों ने पहली कक्षा में प्रवेश के लिए आवेदन कर दिया है उनकी एक वर्ष आयु सीमा कम मान ली जाएगी।